फौजी
पापा मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता हूँ...प्लीज मेरे अच्छे पापा मान जाईये न? गरीमा अपने पापा से रूवांसी होके कहती है। मगर उसके पापा कहते हैं..अरे मेरी अच्छी बेटी..तेरे अच्छे पापा ने तेरे लिए जो लड़का पसंद किया है वह भी तेरे और तेरे पापा की तरह ही अच्छा है समझी? रही पढ़ाई पूरी करने की बात तो तू शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती है।
गरीमा- अगर लड़के वालों ने नहीं आगे पढ़ने की इजाजत नहीं दी तो?
पापा - देख बेटी..मैं तेरी हर सवाल जवाब का जिम्मेदार यंहा इस घर तक हूँ .. .शादी के बाद हर काम पे दखल देना मायके वालों के मर्यादा के खिलाफ है। हाँ अगर तेरी नजर मे कोई लड़का है तो बोल, मैं शादी करा दूंगा । बस ए सोचकर की मेरी बेटी की पसंद बाप से बेहतर थी..शायद मैं ही भलाई नहीं चाहता था अपनी बेटी की..इतना कहके गरीमा के पापा निकल जाते हैं। वैसे गरीमा आगे पढ़ने की जिद इसलिए कर रही थी क्योंकि वह एक लड़के से प्यार करती थी..और लड़का भी उससे प्यार करता था। एक तरफ प्यार और एक तरफ माँ बाप, वैसे गरीमा माँ बाप की लाडली तो थी मगर अच्छी भी थी, गरीमा की शादी एक फौजी लड़के से हो जाती है मा बाप की मर्जी से।
सुहागरात के दिन...
गरीमा- आप मेरे पापा की नजर मे बहुत अच्छे इंसान हो मगर मेरी नजर मे कोई और था, और चाहकर भी मैं उसे भुला नहीं पा रही हूँ।
फौजी मुस्कुराके कहता है.. आपने मा बाप की बात मानकर हमसे शादी की.. .अब अब आप हमसे तलाक लेके उससे शादी कर लिजीये..मा बाप की आज्ञा भी पालन हो गई और अपनी खुशी भी वापस मिल गईं।
गरीमा - आप हमसे लड़ाई झगड़ा मार पिट किये बिना बात थोड़े ही तलाक तक पहुँचती है क्या?
फौजी - हम तो सिर्फ दुश्मन को मारते है वह भी मारने से पहले एक बार समझाते है..आप तो हमारी मोहब्बत हो धर्म पत्नी हो मेरी जान हो...आपको हम कैसे मार सकते है पागल,
गरीमा - तो आप अपना दुश्मन ही बना लिजीये...
फौजी - अपना दुश्मन बनाके भी हम आपको मार नहीं सकते क्योंकि हम तो सिर्फ देश की दुशमनो को ही मारते थे...आखिर फौजी जो ठहरे हम।
गरीमा - आप ये नौकरी क्यों नहीं छोड़ देते..पढ़े लिखे है कहीं भी अच्छी नौकरी और अच्छी वेतन मिल जायेगी आपको
फौजी - hahahaha
गरीमा - इसमें हंसने जैसी क्या बात है जी?
फौजी - किस कमबख्त ने कह दिया आपको की फौजी नौकरी करता है अरे पागल..फौजी तो देश की सेवा करता है सवा सौ करोड़ देश वाशीयो की सुरक्षा करता है सीमा पे देश की दुशनो से।
गरीमा - आपकी कोई Girlfriend थी क्या?
फौजी - हाँ इश्क हुआ है मुझे बेपनाह मोहब्बत है मुझे खुदा मानता हूँ बड़ी शिद्दत से...अपने वतन को...
गरीमा - आपको मरने से डर नहीं लगता?
फौजी - फौजी मरता कहाँ है
वह शहीद होता है वह तो अमर होता है।
गरीमा - आपके अमर के चक्कर मे मैं कहीं बिधवा हो गई तो?
फौजी - आप दूसरी शादी कर लेना..वैसे भी जब कोई इंसान मरता है तो उनकी बिबीया बिधवा कहलाती है मगर फौजी जब शहीद होता है तो उनकी पत्नीयां बिधवा नहीं
शहीद की पत्नी कहलाती है।
गरीमा सोचने लगती है की कितना बिंदास और बेबाक इंसान है ये।
किसी भी चिज न घमंड न लालच
बस एक जूनून सवार है देश की सेवा के लिए।
फौजी -अच्छा जी। सवाल खत्म हो गया तो एक एक आखिरी सवाल हम भी पूछे आपसे?
गरीमा - जी जरूर पूछीये।
फौजी - आप तो मा बाप की मर्जी से मेरे साथ आई हो। खुद की मर्जी होती तो शायद कभी मुड़कर भी न देखती आप हमें । आज हमारी सुहागरात है इसलिए पूछते है कि...हम बाहर जाके सोये या आपके साथ।
थोड़ी देर खामोश रहने के बाद गरीमा बोलती है की... येदी आपकी बकबक खत्म हो गई हो तो लाईट बंद करके दरवाजा लगाके सो जाईयेगा मेरी बगल मे
हमें तो आपकी बातें सुनकर नींद आ गयी है।
एक हफ्ते बाद फौजी अपनी छुट्टी खत्म करके वापस चला जाता है।
इधर गरीमा अब भी उस लड़के से बातें करती है फोन पे। करीब तीन महीने बाद खबर आती है की...सीमा पर आतंकवादियों से लड़ते लड़ते फौजी शहीद हो गया है। गरीमा न रो सकी न खुशी हो सकी। मगर जब फौजी की पार्थिव शहर को तिरंगे मे लिपटा हुआ गाँव मे लाया गया तो हर एक की आखे नम थी गरीमा के आलावा। पूरा गाँव ही नहीं आजू बाजू गाँव शहर से लोग आये थे..भीड़ इतनी थी कि जैसे पूरा देश ही उमड़ पड़ा हो देश के सपूत को अंतिम दर्शन करने।
चारों तरफ एक ही आवाज गूँज रही थी कि जब तक सूरज चाँद रहेगा...Prince तेरा नाम रहेगा, हर किसी के हाथों मे फूल। इतना फूल की valentine day पर भी देश के इश्क बाजो के पास भी न हो। गरीमा ने देखा फौजी के चेहरे को.
कमबख्त अंतिम पल मे भी एक प्यारी सी मुस्कान जैसी थी चेहरा। जैसे बहुत जल्दी थी देश के लिए शहीद होने को,अंतिम संस्कार हो गया। अब गरीमा आजाद थी मगर मुश्किल इस बात की थी की गरिमा के गर्भ मे फौजी का तिन महीने का बच्चा ठहर गया था, घर के लोगों से लेके गाँव के लोग
दोस्त सभी उसे येही कहते थे कि अभी तो तूने जिंदगी ठिक से जी ही नहीं कोई अच्छा लड़का देखके अपना घर बसा ले, गरीमा दो राहे पे खड़ी थी, एक तरफ फौजी का तिन महीने का बच्चा गर्भ था, दूसरी ओर सभी उसकी दूसरी बिवाह की जिद कर रहे थे। एक दिन घर मे अकेली बैठकर अपने सारो कपडो निकाल के आलमारी साफ कर रही थी तो..अचानक फौजी और उसका साथ खींचा फोटो मिला जो फ्रेम मे जडा था ए उस वक्त की फोटो थी जब फौजी डीउटी जाने से एक दिन पहले खीची थी, उस तशबीर को तशबीर को जबर्दस्ती खीची गई थी, क्योंकि गरीमा बिलकुल तैयार नहीं थी फोटो खीचवाने के लिए। इसलिए सिर्फ फौजी हंस रहा था तशबीर मे और गरीमा गुस्से मे थी।
गरीमा ने तशबीर को लेके जमीन पे बैठ गई। फ्रेम पिछे से मोटी लग रही थी, गरीमा ने सोचा कि..ये इतना मोटा क्यों है? चलो देखती हूँ खोलकर। गरीमा ने जैसे ही फ्रेम खोला उसमें एक चिठ्ठी थी थी जो फौजी ने उसके नाम लिखी थी।
प्यारी गरिमा जी love you...बुरा लगा न? कोई बात नही चलो सुधार देता हूँ I hate you forever ...बस इसे एक बार उल्टा जरूर पढ लिजीयेगा। ये खत मैंने मेरे जाने के आखरी रात को आपको लिखा था, और हमने जो तशबीर आपके साथ जबर्दस्ती खीचवाई थी उसके पिछे डलवाई थी, आप अपनी माँ बाप की खुशी के लिए हमसे शादी की थी आपने वरना आपकी खुशी तो कोई और ही खुशनसीब था। हम फौजी है हम तो बस अपने देश और देशवासियों की खुशी देखना चाहते है उनके होठो पर एक खूबसूरत मुस्कान देखना चाहते थे। और आप खुश न देखू तो फिर मैं कैसा फौजी। सच कहूँ तो माँ बाप की जोर जबर्दस्ती पर फौजी शादी करते है अगर फौजी की बस चले तो शायद ही वह किसी से शादी करे..क्योंकि दो दो जगह शिद्दत से मोहब्बत लुटाना थोड़ा मुश्किल होता है। फौजी घर से सिर्फ सीमा के लिए जाता है। मगर उसका वापस आना देश की सुरक्षा तय करती है। जब आप सामने थी तो आपको किसी और के बारे मे सोचकर भी कांप जाता था दिल...क्योंकि आपका भोलापन और मासूमीयत इस फौजी को बहुत पसंद है। मगर जाते जाते सोचा आपके लिए कुछ करूँ । क्योंकि सीमा पर जब एक फौजी तैनात होता है तो वह सिर्फ अपने देश और देशवासियों के लिए सोचता है मगर उसे अपनी जिंदगी का कोई ख्याल ही नहीं रहता। आपकी खुशी मेरी जिंदगी है। आपको हम इस खत के जरिए एक आजादी दे रहे है। आप अपनी खुशी को फिर से पा सकती हो। आप चाहो तो फिर उसी लड़के से घर बसा सकती हो जो खुशी आपके मा बाप ने मुझ पागल फौजी के गले बाँधकर आपकी खुशियों के साँसो को रोक दिया था, कमरे मे देखना एक box है चाभी उसी बोक्स के निचे रखी है । खोलने पर आपको एक मेरी फौजी वाली कमीज मिलेगी उसकी जेब मे तलाक का पेपर रखा है । हमने अपना हस्ताक्षर कर दिया है । चाहो तो अपना हस्ताक्षर करके इस पागल फौजी से छुटकारा पा सकती हो। मेरा क्या है। मै तो किस्मत से घर लौटा भी तो बेपनाह मोहब्बत लेके लौटूंगा उसके लिए जो मेरी होकर भी मेरी नहीं थी, शहीद होके लौटा तो तिरंगे मे लिपटकर आउंगा सबको रूलाने के लिए केवल उसको रूला न सकूँगा जिसकी मोहब्बत पाने के लिए अक्सर मैं अकेले मे रोया करता हूँ।
कमबख्त अगले जन्म के बारे मे भी क्या सोचू
अगले जन्म मे भी मुझे तो फौजी ही बनना है और हमसफर के रूप मे भी उसको पाने की चाहत है
जिसे फौजी बिलकुल पसंद नहीं । गर मिल गये उस जन्म मे भी तो बिछड़ना तो तय है इस जन्म की तरह.. शायद गर्भ ठहर गया हो तो बच्चे गीरा देना, वरना
वरना बेटा हुआ तो वह भी फौजी बनेगा
बेटी हुई तो वह किसी फौजी से ही शादी करेगी
आखीर खून किसका है? फौजी का ही न....
बस आपका होकर भी आपने जिसे कभी अपना न कहा.. वह फौजी
गरीमा खत पढ़ते पढ़ते बहुत देर तक रोती रही। फिर रोते हुए फ्रेम को ठिक से पहले जैसे ही बनाई और उपर दिवार पर टांग दी जहाँ से सोते जागते अपने फौजी को देख सकती थी, फिर रोते रोते अपना एक हाथ से गर्भ मे पल रहे बच्चे को सहलाती हुयी मुस्कुराके कहती है...
मेरे पागल फौजी का बच्चा फौजी ही बनेगा, की तभी गरीमा को कहते है की आपको हल मे बुलाया गया है।
गरीमा वैसे ही चली जाती है बिना श्रींगार किये। रोते रोते आखे फूल चुकी थी चेहरा उतरा हुआ था, हल मे पहुँचते ही गरीमा के मम्मी पापा और उसी लड़के के मम्मी पापा जिस लड़के से गरीमा प्यार करती और लड़का भी आया था। गरीमा के पिता कहते है की...देखो बेटी ए लोग तुम्हारे रिश्ता लेके आये है। और हम तो तैयार है लड़का और लड़के वाले भी और तुम्हारे सास ससुर और सभी घर वाले भी, तुम तैयार हो की नहीं बेटी?
गरीमा - आप सब लोग मुझे बिधवा समझके गलत जगह आ गये...जाईये किसी बिधवा बिचारी की घर बसाईये आप सभी मिलकर, हम तो एक बीर शहीद की पत्नी है और मेरे शहीद फौजी की आमानत जो मेरी कोख मे पल रहा है कल वह शहीद के बच्चे कहलायेगे आनाथ नहीं।
और फिर अपने घर के सास ससुर की ओर देख के कहती है की... येदी मैं आप सबको बोझ लगती हूँ तो घर से निकाल दिजीए वरना शहीद की पत्नी का रिश्ता दोबारा इस घर मे न आये। मेरा पति तिरंगे मे लिपटा हुआ आया था, और मैं तिरंगे का अपमान कभी नही कर सकती बोलकर सीधा कमरे मे चली आती है। सब हैरान थे मगर गरीमा का बाप मन ही मन कहता है।
नाम गरीमा रखा था मैंने
आज मेरी बेटी ने अपने नाम की पहचान भी करा दी सबको।...एक सलाम तो बनता है दिल से ...
शहीद की धर्मपत्नी है।
जय हिन्द ।
Sunday, June 23, 2019
असली पूजा
ये लड़की कितनी नास्तिक है ...हर रोज मंदिर के सामने से गुजरेगी मगर अंदर आकर आरती में शामिल होना तो दूर, भगवान की मूर्ति ...

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पूरा नाम - भगवतीचरण वर्मा जन्म - 30 अगस्त, 1903 उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश मृत्यु - 5 अक्टूबर, 1981 कर्म भूमि - लखनऊ कर्म-क्षेत्र - ...
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एक राजा के दरबार मे एक अपरिचित व्यक्ति नौकरी मांगने के लीये आया। उससे उसकी शैक्षणिक योग्यता तथा विशेषता पूछी ग ई, तो वो बोला, "मैं क...
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सच्चा हिरा सायंकाल का समय था सभी पक्षी अपने अपने घोसले में जा रहे थे तभी गाव कि चार ओरते कुए पर पानी भरने आई और अपना अपना मटका भरकर बतयाने...