मोहन एक न्यूज़ पेपर की दुकान चलाता था एक बुजुर्ग लगभग 60 साल के रोज उसकी दुकान पर आते तकरीबन सभी न्यूज़ पेपर उलट पलटकर देखते,
फिर एक पेपर खरीदकर चले जाते मोहन को ये बडा अटपटा सा लगता ।
आखिर एकदिन मोहन ने बुजुर्ग से पूछ लिया -बाबूजी आप कया खोजते रहते हो रोज आकर इन पेपर मे
,बुजुर्ग बोले-बेटा अपनी तस्वीर ....
मोहन-ओह तो आपने छपने भेजी हे कौन से पेपर मे...
बुजुर्ग बोले- नही मेरे बेटे इस आस मे शायद मेरे बेटे बहूओ को मेरी याद आये ओर तलाश शुदा के कालम मे...वो मेरी तस्वीर छाप मुझे वापस घर बुला ले ...!!
एक बार बहू ने अपने पालतू कुत्ते का भी ऐसे ही तलाश शुदा कालम मे इशतहार दिया था....कहकर रोने लगे....
मोहन ने जब जोर देकर पूछा तो बुजुर्ग बोले -भूरेलाल नाम है उनका शहर मे बडी दुकान थी कपडे की दो बेटे है पढाया लिखाया समझदार बनाया।
फिर पत्नी के कहने पर पहले कारोबार ओर फिर घर उनके नाम कर दिया बस सभी चीजों पर कब्जा किए बहू बेटों के बर्ताव मे होते अनदेखियो और बदतमीजी से मेरी पत्नी चल बसी ।
ओर फिर कुछ समय बाद दोनों बेटों ने मुझे इस शहर मे स्टेशन पर छोड़ दिया की आप यहां रुकिए हम अभी आते है...
मगर वो फिर कभी नही आये शायद वो मुझे यूं ही मरने को छोड़ गए 5 दिनो तक भूखे रहकर मैंने उनकी राह देखी
मगर फिर सबकुछ समझ गया और यूं ही भटकते इस वृद्धआश्रम आ पहुंचा ओर यहां लगभग 2साल हो गए मगर आज भी दिल करता हे शायद जैसे अपने पालतू कुत्ते के लिए विज्ञापन दिया था।
बेटे बहुओ ने हो सकता हे मेरी तस्वीर भी दी हो की पापा वापस आ जाओ....
कहकर रोने लगे,सबकुछ सुनकर मोहन बोला-मे आपसे एक बात कहूं-मे गांवसे शहर पैसे कमाने आया हूं अपने माता पिता ओर छोटी बहन को छोडकर...
मुझे उनकी कमी हर वक्त खलती है जैसे आपको अपने बेटोंकी तो कयूं ना आजसे आप मेरे पास मेरे साथ रहे आपको बेटा ओर मुझे पिता का प्यार मिल जाएगा,
बुजुर्ग ये सुनकर हैरान थे मगर फिर खडे हुए और मोहन को गले लगा लिया इसके बाद मोहन और बुजुर्ग साथ रहने लगे।
दोस्तों!!
ये भी एक रंग है संसार का कोई बेटों के होते हुए भी परेशान है ओर और कोई माता पिता की ममता ना मिलने से खुदको बदनसीब समझता है
अपने माता पिता को प्यार और सम्मान दीजिए घरों मे बरकत कुत्ते बिल्ली के पालने से नही मां बाप की सेवा करने से होती है ।
असली पूजा
ये लड़की कितनी नास्तिक है ...हर रोज मंदिर के सामने से गुजरेगी मगर अंदर आकर आरती में शामिल होना तो दूर, भगवान की मूर्ति ...

-
पूरा नाम - भगवतीचरण वर्मा जन्म - 30 अगस्त, 1903 उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश मृत्यु - 5 अक्टूबर, 1981 कर्म भूमि - लखनऊ कर्म-क्षेत्र - ...
-
एक राजा के दरबार मे एक अपरिचित व्यक्ति नौकरी मांगने के लीये आया। उससे उसकी शैक्षणिक योग्यता तथा विशेषता पूछी ग ई, तो वो बोला, "मैं क...
-
सच्चा हिरा सायंकाल का समय था सभी पक्षी अपने अपने घोसले में जा रहे थे तभी गाव कि चार ओरते कुए पर पानी भरने आई और अपना अपना मटका भरकर बतयाने...