नया सवेरा
12 बजने को आये पर साहिल की आँखों से नींद कोसों दूर थी, अपने किये पर घोर पछतावा हो रहा था उसे , कुछ घंटे पहले की बात है ,,,
"पापा आज खिचड़ी , मुझे नहीं खाना , मेरे लिए बाहर से खाना मँगवालो " "बेटा कहाँ से मँगवाऊं महंगा खाना ? इतनी मेरी तनख्वाह नहीं की में तुम्हारी पढाई के साथ यह सब भी पूरा कर सकू" ... आज मम्मी को बुखार था तुमने उनको दवाई भी नहीं दिलाई ? पापा कुछ पहले गुस्से में थे और इस बात पर और गुस्सा हो गए "पापा में पढ़ कर आया था और थक गया था " "जो बच्चे पढाई करते है , क्या उनका घर की तरफ कोई फर्ज नहीं बनता ?
साहिल की मम्मी को तेज बुखार था , न तो दवाई दिलाई और न ही कुछ खाने पीने को पूछा। पापा शाम को घर आये तो देखा रेखा बुरी तरह से बुखार से तप रही थी। तुरंत डॉक्टर के पास ले गए दवा दिलवाई। आखिर सबको भूख लगी थी , खिचड़ी बना ली। ऐसी स्थिति में जैसा मिल जाये खा लेना ही सच्चा कर्तव्य है।
सारा काम पापा ने किया ,मगर साहिल को इस से कोई वास्ता नहीं था। गुस्से के मारे कमरे में आकर लेट गया , न खाना खाया। खाली पेट कहाँ किसी को नींद आती है। साहिल बैठ कर ख्यालो मे उलझा हुआ था,, ‘क्या जो मैने कहा वो ठीक है ? पापा को कैसा लगा होगा मम्मी क्या सोच रही होगी ‘
धीरे-धीरे उसकी अंतरात्मा जागने लगी “नही जो किया तुमने उसे किसी भी तरह जायज नही कहा जा सकता । आज तुम सामर्थ्य हो स्वस्थ हो पढ़े-लिखे हो, आरामदेह जिंदगी है तुम्हारी किसके बदौलत ? जवान हो जहां हाथ रखते हो पापा अपनी सुख दुःख भुल कर तुम्हारी खुशिया और अरमानो पर आंच नही आने देते ।जहां कदम रखते हो’ मम्मी पलके बिछाये सारे कांटे चुन लेती है कि तुम्हे कोई कांटा भी ना चुभे । नही ‘ साहिल ‘तुमने हां तुमने ,,, उनका दिल दुखाया है ।
मम्मी-पापा ने तुम्हारे भविष्य के लिए सारे समझौते खुद से कर लिए क्यु, ,,,? याद आया वो पल,, वो तस्वीर जो उसकी कपूत होने की ओर ले जा रही थी । ‘साहिल ‘ ने सिर्फ अपनी खुशी के लिए, अपने लिए खुद एक गड्ढा खोद रहा था । ‘लापरवाही से दरकिनार कर दिया करता था ‘, पापा के सीख को मम्मी की बात को ‘
नींद कहां से आती भूखा रह कर, छटपटाहट से रात गुजरी कई सवालो ने जवाबो से दो दो हाथ किये दिल दिमाग और रूह की जिरह से नींद कब आयी और कब सुबह हो गई । मम्मी की हालत मे कुछ सुधार हो चला था ,पापा हाथ बटा रहे थे किचन मे उन्हे भी काम पर जाना था। मगर ,,,,,रोज
की तरह साहिल को जगाया नही गया । आज साहिल खुद ही जाग उठा था, समझ चुका था भूख किसे कहते है और जिंदगी मे भूख के मायने क्या है । क्यु पापा दिन रात अपने आप को काम से बांधकर घर चलाते है ,, फैसला ले लिया था साहिल ने । धीरे से मम्मी और पापा के करीब आया, और लिपट कर रूंधते गले से कहा,,
पापा मम्मी मुझे माफ कर दो। मैं गलत था और रात मे बहुत ही दुख पहुंचाया आपको ‘मुझे बहुत पछतावा है आगे से ऐसा नही होगा । मैं बहुत दुःखी हूॅ आप दोनो को दुख पहुंचा कर ।क्या कहते मम्मी पापा ,,,मम्मी की आंखे भर आयी और पापा के आंखो मे एक उम्मीद खुशी की उभरने लगी।
आज साहिल को बेशक किसी ने नहीं उठाया लेकिन ये उसका नया सवेरा था। मम्मी पापा ने गले से लगा लिए अपने बेटे को।
असली पूजा
ये लड़की कितनी नास्तिक है ...हर रोज मंदिर के सामने से गुजरेगी मगर अंदर आकर आरती में शामिल होना तो दूर, भगवान की मूर्ति ...

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पूरा नाम - भगवतीचरण वर्मा जन्म - 30 अगस्त, 1903 उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश मृत्यु - 5 अक्टूबर, 1981 कर्म भूमि - लखनऊ कर्म-क्षेत्र - ...
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