Sunday, June 23, 2019

एक प्रेरणादायक प्रसंग-नेक कर्म

एक प्रेरणादायक प्रसंग

एक बार एक साधु तीर्थयात्रा पर जा रहा था ! रास्ते में उसे प्यास लगी ! काफी समय के पश्चात् एक गाँव आया वहां उसने एक व्यक्ति से पूछा-- भाई ! पीने को पानी कहाँ मिलेगा !! उस व्यक्ति ने एक ओर इशारा करते हुए कहा देखो वहां एक कुआ है , उस कुए पर एक बाल्टी एवं रस्सी है ,पानी शीतल एवं मीठा है ! साधू ने कुए तक पहुँच कर पानी निकला और पीकर तृप्त होगया और अपनी यात्रा पर आगे बढ़ गया !अभी कुछ कदम चला ही था की उसके मन में विचार आया की " मुझे इतनी लम्बी यात्रा के बाद पीने को पानी मिला है अब पता नहीं कब मिलेगा !" साधु वापिस कुए पर आया और उसने बाल्टी भरकर अपने साथ ले चला ! कुछ कदम चला ही था की उसे लगा की वह बाल्टी की चोरी कर रहा है और वापिस कुए की तरफ चल दिया और उसने वह बाल्टी फिर कुए पर रख दी ! वापिस अपनी यात्रा पर चल दिया ! वो कुछ कदम चला तो उसका विवेक आत्मचिंतन करने लगा की "उसके मन में अधर्म का विचार क्यों आया " वो यह जानने के लिए वापिस गाँव आ गया ! वहां उसने एक व्यक्ति से पूछा --- भाई ये कुआ किसने बनवाया है ? उसे ज्ञात हुआ की एक डाकू ने अपने जीवन के अंतिम काल में "लुटे हुए धन से " ये कुआ बनवाया है !

विशेष -"नेक कर्म " पाप की कमाई से निष्फल होता है ! पाप को जन्म पाप की कमाई से ही होता है ! परोपकार का कार्य.....
१. ईमानदारी से कमाए धन
२. परिश्रम से कमाए धन
३. परोपकार की भावना को ध्यान में रखकर कमाए धन एवं
४. योग्य कर्म (noble profession )  से कमाए धन से ही फलीभूत होता है !

जो व्यक्ति पाप के धन बल से मुग्ध रहता है वह एक मकड़ी के समान है जो धन कमाने के लिए जाला बुनती रहती है कभी दूसरों का धन हरण करने के लिए , कभी बिना परिश्रम से कमाने के लिए , कभी झूट बोलकर कमाने के लिए एवं अनेक अन्य पाप कर्मो का जाला जब बुन जाता है तो वो मकड़ी उसी में फसकर मर जाती है ! उसकी सदगति नहीं होती है ! सदगति तो मनोविकारों से मुक्ति ( मोक्ष ) पाने से ही होती है ! इसीलिए तो वेदों ने चार पुर्षार्थों में अंतिम पुरुषार्थ " मोक्ष " को रखा है ! मोक्ष प्राप्त जीवात्मा १. कर्म बंधनो के कारण " पुनर्जन्म " के लिए बाधित नहीं रहती है ! २. मोक्ष प्राप्त आत्मा जब तक चाहे " परम सत्ता यानि परमात्मा में विलीन रह सकती है !

असली पूजा

ये  लड़की  कितनी नास्तिक  है ...हर  रोज  मंदिर के  सामने  से  गुजरेगी  मगर अंदर  आकर  आरती  में शामिल  होना  तो  दूर, भगवान  की  मूर्ति ...