Thursday, September 12, 2019

यारा तेरी यारी




एक छोटा सा गाँव...जंहा सब लोग आपस मे बड़े प्रेम से रहते थे...वैसे हर चिज गाँव से दूर थी..हर छोटी बड़ी चिजे शहर से लाना पड़ता था मगर गांव वाले किसी से कोई शिकायत किए खुशी खुशी शहर जाके अपने लिए वह चिजे लाते थे...बस सरकार ने एक काम चलाउ छोटा सा अस्पताल जरूर खोल दिया था.. उस छोटे से गाँव की सबसे अच्छी चिज और सुंदरता थी तो..तिन दोस्तों की दोस्ती...
राजेश, मोहीत और राज दुबे..वैसे ये छोटे थे मगर इनकी दोस्ती बेहद बड़ी थी, दोस्ती भी ऐसी की क्या कहे आपको...सुबह का नाश्ता एक दोस्त के घर मे दोपहर का खाना दूसरे के घर मे रात का खाना तिसरे के घर में । और वहीं तिनो हंसते खेलते सो जाते थे..सारे गाँव वाले उनकी दोस्ती की मिसाले दिया करते थे..तिनो हम उम्र जैसे होने के कारण एक ही साथ पढ़ते थे..गाँव के ही बगल मे एक गाँव था जो शहर से जुड़ा था और वहीं पे उनका सरकारी स्कूल था और वे तिनो साथ पांचवी कक्षा मे पढ़ते थे। स्कूल मे भी इनकी दोस्ती जग जाहिर थी..वैसे स्कूल उतना दूर नहीं था मगर रास्ते मे जो नदी पड़ती थी वह वक्त ज्यादा ले लेता था स्कूल पहुँचने के लिए।

छ भी करना हो तिनो ही पहले आगे होते थे मगर इन तिनो मे थोड़ा जिद्दी राजेश था इसलिए हर वक्त जिद करके वही पहले आगे बढ़ता था, बस ऐसे ही एक दिन आम तोड़ने के चक्कर मे राजेश..मोहीत और राज से जिद करके आम के पेड़ पर चढ गया..मगर बरसात का मौसम पेड़ फिसलन होने कारण राजेश पेड़ से निचे आ गीरा, जल्दी से आनन फनान मे राजेश को घर लाया गया। वह अब पूरी अपाहीज जैसा हो गया था, न उठ सकता था न चल सकता था, घर वालों का रो रो के बुरा हाल था मगर मोहीत और राज एक बार भी नहीं रोये। इनको देखकर गाँव वाले भी हैरान थे कि आखिर एक साथ रहने वाले एक ही थाली मे खाने वाले ये दोनों दोस्त अपनी दोस्त की हालत पे क्यों नहीं रोये मगर सबके पास सवाल था मगर जवाब शायद सिर्फ दोनों के पास था। स्कूल की पढ़ाई शुरू हो चुकी थी। तिनो मे से एक स्कूल जा नहीं सकता था। मगर दो दोस्त तो जा सकते थे मगर अचानक वह दोनों एक दिन गाँव से गायब हो गये..बहुत तलाश किया गया मगर नहीं मिले..
करीब महीने दिन उन तीनों दोस्त के मास्टर जी उनके गाँव आते हैं और पूरे गाँव वालों से कहते हैं की...मैं कल अपने शहर से बाहर दूसरे शहर गया था, वहाँ मेरी नजर राज और मोहीत पे पड़ी, मैं उन्हें देखकर हैरान रह गया..वे फटे पुराने कपड़े पहने शहर मे बड़े बड़े अमीर लोगों की गाडीया साफ कर रहे थे, और साथ मे वहाँ खड़े लोगों का गाना गाके नाचके मनोरंजन कर रहे थे,। मेरी नजर और एक शख्स को ढूँढ रही थी। वह था राजेश उनका जीगरी यार, मगर मैं हैरान रह गया उसे न देखकर जबकि स्कूल मे साथ बैठते साथ खेलते थे। एक को लगी है भी तो तिनो साथ जाते थे। हम स्कूल वाले उनकी दोस्ती देखकर बड़े हैरान रह जाते थे। मगर उस वक्त उसको उनके साथ न देखकर मैं और भी ज्यादा हैरान रह गया था। सोचा उन दोनों बच्चों से मिलू पर भीड़ की वजह से मैं शरर्मींदगी महसूस हुई। आप लोगों को छोटे उम्र मे बच्चों को काम पे शहर नहीं भेजना चाहिए। पढ़ने की उम्र है इन्हें पढ़ने देते तो अच्छा होता। ऐसे भी सरकारी स्कूल मे खर्चा ही कहा है। मास्टर जी की बातें सुनकर गाँव वाले सारी बिती बात बता देते है मास्टर जी को कि कैसे राजेश बिमार हुआ और अचानक कैसे गायब हो गये गाँव से मोहीत और राज, मास्टर जी दुखी मन से लौट जाते है।
अचानक दो दिन बाद पूरा गाँव हैरान रह जाता है मोहीत और राज को गाँव मे वापस आते देखकर। मगर साथ मे एक चमचमाती गाड़ी भी थी और उनके साथ एक नौजवान इंसान भी था सूटबूट में। राज और मोहीत सिधा उस व्यक्ति को लेके राजेश के घर जाते है।
राजेश को देखते ही मोहीत और राज गले लगकर जोर जोर से रोते है। सब हैरान। राजेश भी फफक फफक के रो पड़ता है। तभी वह नौजवान व्यक्ति कहता है राज और मोहीत से, तुम दोनों को रोने के शिवा कुछ आता भी है या नहीं ?  इतना कहके वह व्यक्ति खुद भी अपनी पलकों को साफ करता है और गाँव वालों से कहता है की..ये दोनों बेहद अद्भुत बच्चे हैं। मै आज जो यंहा पे खड़ा हूँ इसकी वजह ये दोनों मासूम बच्चे हैं और मै पेशे से  एक डाक्टर हूँ । ये दोनों बच्चे हर सुबह वक्त से पहले आके
हर रोज मेरी गाड़ी को साफ करते थे। मेरे घर के आस पास एक कचरा भी रहने नहीं देते थे। पैसे देने पर दोनों हाथ जोड़कर सर हिलाकर नहीं कहते थे। आखो मे नमी साफ देख सकता था मैं। ये रोज का काम था इनका। मगर पैसे देने पर इंकार करते थे। इनका पैसा न लेना मुझे बड़ा अजीब लगता था। क्योंकि हर कोई पैसो के लिए काम करता है मगर ये दोनों किसलिये मुफ्त मे काम करते थे मैं उस वक्त जान न सका।
कंहा रहते थे कहा सोते थे  पता नहीं मगर हर सुबह वक्त से पहले मेरी गाड़ी साफ करने आ जाते थे, मैंने उस दिन अपनी पत्नी से कहा कि इन दोनों बच्चों पर जरा ध्यान देना तो? मुझे कुछ ठीक नही लग रहा है । कुछ भी शक होता है तो पुलिस मे रिपोर्ट कर देते है फिर मै अस्पताल चला गया। मेरी पत्नी ने क्या देखा कि मेरे जाने के बाद दोनों गले मिलकर रो रहे थे..और फिर आसमान की और हाथ उठाके रोते हुए कह रहे थे..हमारे दोस्त को ठीक कर दो भगवान। मेरी पत्नी को इनपे दया आई और अंदर बुलाया और इन्होंने जो कहानी बताई मेरी पत्नी तक को रूला दिया जबकी मैंने शादी से पहले वादा किया था की तुम्हारी पलकों मे कभी आशू का एक बूँद भी आने नहीं दूंगा। मगर मै भी रो पड़ा जब मेरी पत्नी ने रोते हुए इनकी दोस्ती की कहानी सुनाई
इन दोनों ने कहा कि हम बेहद गरीब है और अपने दोस्त का इलाज नहीं कर सकते इसलिए शहर पैसे कमाने आये है ताकी अपने दोस्त का इलाज कर सके..हम रात मे सिर्फ चार घन्टे सोते है और बाकी हम पैसे कमाने मे जुट जाते हैं । हमें तब तक वापस नहीं जाना है जब तक उसके लिए व्हील चियर खरीद नहीं लेते
मैडम - व्हील चियर? ?
दोनों दोस्त - हाँ मैडम व्हील चियर हमारा अजीज दोस्त हमारा राजेश अपाहीज हो गया है और हम उसके बिना एक कदम चल नहीं सकते। हम गरीब है मगर पढाई पूरी करना चाहते है मगर हम उसके बिना स्कूल नहीं जा सकते। इसलिए उसे भी हम अपने साथ व्हील चियर पे बिठाके स्कूल ले जायेगें।
मेरी पत्नी उनकी अद्भुत दोस्ती की कहानी सुनकर वह भी भावुक हो गई थी..
मैडम - ऐसी जिद अच्छी नहीं होती बच्चों। वापस लौट जाओ अपने गाँव ।
बच्चे - जिद अच्छी नहीं आप कहती हो मैडम मगर उस आदत का क्या करे जो उसके बिना जिया नहीं जाता। इस शहर मे आये कितने दिन हुए हमें पता नहीं मगर हर बार उसकी याद मे रोये है हमें पता है।
हम उस वक्त रो न सके जब वह बिमार हुआ था। शायद लोगों ने हमारी दोस्ती पर उँगली भी उठाई होगी,मगर रोते भी कैसे मैडम..हमारे एक आशू के बूँद हमारे दोस्त की जिंदगी के दिन कम कर देते। शायद उसे उसकी बिमारी से उतनी तकलीफ नहीं हुई होगी जितनी हमारे आशू से होता।
मैडम - तुम लोग तो बेवकूफ हो, आखिर रोज सुबह मेरे पति तुम्हें पैसे देते है मगर तुम लोग लेते क्यों नहीं?
बच्चे -हमें भगवान के पैसे नहीं हमें भगवान चाहिए
कयोंकि सवाल पैसों का नहीं जिंदगी का है और जिंदगी भी ऐसी जंहा तिन जिंदगी और तिन साँसें एक साथ जुड़ी हो

मेरी पत्नी ने तुरंत इन दोनों को गले लगाकर बोलो चलो नहा धोके कुछ खा लो। और येही रहो।
तुम्हारे भगवान तुम्हारे साथ तुम्हारे दोस्त को देखने जरूर जायेंगे और आज मैं यंहा आप सभी के सामने खड़ा हूँ। मैं अगले शनिवार को फिर आउंगा और राजेश को लेके जाऊँगा। और इसका इलाज कराउंगा। बस पैसों के नाम पे मुझे इन तिनो की दोस्ती सदा सलामत चाहिए
इधर मोहीत और राज अपने अपाहीज दोस्त को व्हील चियर पे बिठाके पूरा गाँव घूमते हैं । इन तिनो के एक साथ मुस्कुराने जैसे गाँव मे फिर से एक नयी रोशनी आई हो जैसे।
फिर सोमवार को तिनो स्कूल के लिए निकले है। व्हील चियर को आगे से राज खिच रहा है और पिछे से मोहीत धक्का दे रहा है और राजेश व्हील चियर पे बैठा मस्ती मे गाना गा रहा है...तेरे जैसा यार कहाँ, कहाँ ऐसा याराना

असली पूजा

ये  लड़की  कितनी नास्तिक  है ...हर  रोज  मंदिर के  सामने  से  गुजरेगी  मगर अंदर  आकर  आरती  में शामिल  होना  तो  दूर, भगवान  की  मूर्ति ...