"साइड में लगा.... साइड में लगा"
तेजी से बाइक की चाबी निकालते हुए ट्रैफिक पुलिस वाले ने हड़काते हुए कहा ...
"तीन सवारी ! और वो भी दो जने बिना हेलमेट के ! ... चल लाइसेंस निकाल और गाड़ी के कागज़ भी"
"देखिए सर ... आप गलत समझ रहे हैं ।"
"अब तू मुझे समझायेगा सही और गलत । चुपचाप लाइसेंस निकाल ।"
"अरे आपको दिख नहीं रहा क्या ? ये बहता हुआ खून .... ये घायल आदमी ।"
"मैं कुछ नहीं जानता नियम तो नियम है, और तू बीच में क्यूँ चूँ चपड़ कर रहा है बे । एक तो बिना हेलमेट पीछे बैठा हुआ है ऊपर से बकवास कर रहा है ।"
"देखिए साहब ! आप पहले मेरी बात सुन लीजिए फिर आपको जो करना है कर लीजिए । चालान करना है या गाड़ी जब्त करनी है । मैं तो ऑफिस से अपने घर जा रहा था । बीच रास्ते में इन बुजुर्ग को सड़क पे पड़े देखा । बाइक रोक कर देखा तो इनके सर से खून बह रहा था और ये बेहोश पड़े थे । एक तरफ इनकी साइकिल पड़ी थी । मैंने कई आने जाने वालों से मदद की रिक्वेस्ट की लेकिन कोई नहीं रुका । ये भईया उधर से पैदल ही गुजर रहे थे मुझे यूँ देख कर रुक गए । मैंने इनसे कहा भाई ये बुजुर्ग पता नहीं कौन हैं और घायल पड़े हैं । आप हेल्प करो तो इन्हें नजदीक के बड़े सरकारी अस्पताल में ले चलते हैं । ये भईया तैयार हो गए और हम दोनों मिलकर इन्हें अस्पताल लेकर जा रहे हैं । अब आप ही बताओ साहब बीच रास्ते में घायल पड़े व्यक्ति को और इन राह चलते भईया को कहां से हेलमेट पहनाता ?"
"भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा । एक तो हम मदद को आये ऊपर से तुम परेशान कर रहे हो । हम बोलते हैं तो तुमको चूँ चपड़ लगती है । रोड़ लाइट बंद पड़ी है वो नहीं दिखती तुमको ? ये सड़क पे बड़े - बड़े गड्ढे नहीं दिखते ? इस बिचारे बूढ़े आदमी को अंधेरे में गड्ढा नहीं दिखा कौन है इसका जिम्मेवार ? तुमको अपने चलान की पड़ी है । किसी इंसान की जान की नहीं । अरे पुलिस की वर्दी पहने ली तो क्या इंसान नहीं रहे तुम ? कल को तुम्हारे घर से भी कोई यूँ गिर पड़ सकता है । तब उसका भी पहले चलान करियो । नियम नियम की बात कर रहे लेकिन पहले रोड़ तो ठीक कराओ । रोड़ लाइट तो जलवाओ फिर करियो चलान । अरे ट्रेफिक और एक्सीडेंट की इत्ती परवाह है तो पहले अपनी व्यवस्था तो सुधारो ।"
"देखिए सर .... ये रहा मेरा लाइसेंस । रखिये अपने पास और जितने का चालान बनाना है बनाइये । हम लोग जा रहे अस्पताल इन बुजुर्ग को लेकर ....
Saturday, September 14, 2019
असली पूजा
ये लड़की कितनी नास्तिक है ...हर रोज मंदिर के सामने से गुजरेगी मगर अंदर आकर आरती में शामिल होना तो दूर, भगवान की मूर्ति ...

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पूरा नाम - भगवतीचरण वर्मा जन्म - 30 अगस्त, 1903 उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश मृत्यु - 5 अक्टूबर, 1981 कर्म भूमि - लखनऊ कर्म-क्षेत्र - ...
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सच्चा हिरा सायंकाल का समय था सभी पक्षी अपने अपने घोसले में जा रहे थे तभी गाव कि चार ओरते कुए पर पानी भरने आई और अपना अपना मटका भरकर बतयाने...