Saturday, October 5, 2019

प्यार नहीं था तो क्या था

अगर मुझसे प्यार नहीं था तो क्यों आये थे मुझसे मिलने मेरी पसंद के कलर की शर्ट पहनके। नहीं था प्यार क्यों लाये थे साथ मेरे पसंद की चॉकलेट। नहीं था कुछ तो क्यों याद हैं तुम्हे आज भी मेरी एक -एक बात। मैं कब रूठी थी तुमसे, कब मुस्कुराई थी मैं, कब गुस्से करने का नाटक कर रही थी। क्या पहना था मैंने, मेरे खुले बाल, हाथों में पकड़ा चाबी का छल्ला। इतने सालों बाद भी तुम्हें कैसे याद हैं।
मैने बड़ी मुश्किल से माना था कि मेरा प्यार केवल एक तरफा था क्योंकि मुझे हमेशा से लगता था कि तुम भी करते हो मुझसे प्यार बस जताते नहीं। क्यों तुम सारा दिन मुझसे ही फोन पर बात करते थे जबकि कॉलेज में कुछ ही घँटे पहले मिले थे हम। क्यों हमेशा तेरे साथ वाली सीट खाली रहती थी जिस पर मेरे सिवा किसी ओर को नहीं बैठने देते थे।
तुमने तो मुझे छोड़ कर किसी ओर का हाथ थाम लिया था। और मैने अपनी चाहत को एक तरफा प्यार का नाम दे दिया था। बड़ी मुश्किल से सँभाला था खुद को जब तेरी शादी की खबर सुनी तुम्हारे ही मुँह से। उस ही दिन तुमसे दूरी बना ली थी। नहीं थी हिम्मत तुझे किसी ओर के साथ देखने की।
दिमाग ने कहा वो नहीं है तेरे लायक ,तेरे प्यार के काबिल भी नहीं है। पर दिल ने एक ना सुनी क्योंकि वो तो सिर्फ और सिर्फ तुम्हें चाहता था बेइंतहा.....। लेकिन आज इतने सालों बाद तुमसे मिली तो लगा ही नहीं के हम बरसों बाद मिले है। वहीं तुम्हारी हंसी, वही नजरों से देखना मुझे,वहीं बिन कहे मेरी बात समझ जाना।
वहीं सारी हँसी ठिठोली, आज तुम्हारे साथ इतना हँसी मानो कई सालों की हँसी बंद हो कहीं मेरे अंदर। खुश थी आज बहुत मैं जैसे पहले रहती थी तुम्हारे साथ खुश मैं। पर ये क्या कह दिया तुमनें की आज भी तुमसे बात करना अच्छा लगता हैं जैसे पहले लगता था। कहाँ चली गयी थी तुम मुझे छोड़ के कितना याद किया तुम्हें मैंने।
ये सुन जब मैंने तुमसे कहा 'मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी और मानती थी कि तुम खुद आके मुझे कहोगें की तुम भी मुझसे प्यार करते हो, लेकिन तुमनें तो किसी और का हाथ थाम लिया था।" तो क्या करती नहीं हुआ बर्दास्त तुम्हें किसी ओर का होता देख इसलिये दूर कर दिया खुद को तुमसे, पर तेरी यादों को आज भी खुद से दूर नहीं कर पायी"।
बोलो क्या कभी एक पल के लिए भी तुम्हें मुझसे प्यार नहीं हुआ। तो तुमने कहा-"मुझे तेरे साथ रहना अच्छा लगता था , तुमसे बात करना अच्छा लगता था,आज भी कोई नहीं है जिससे में इतनी बात करूं जितनी तुमसे करता था। पर यह प्यार था या नहीं मैं समझ ही नहीं पाया। पर तुझे बहुत याद करता था"। यह कह तुम चुप होगये। और मैं यही सोचती रही के मेरा दिल सही कहता था कि वो भी मुझसे प्यार करता है। मेरा प्यार एक तरफा नहीं था।
तभी एक आवाज कानों में पड़ती है "मम्मी खाना दो भूख लगी है"। और वो हकीकत की दुनिया में आ गई ।

असली पूजा

ये  लड़की  कितनी नास्तिक  है ...हर  रोज  मंदिर के  सामने  से  गुजरेगी  मगर अंदर  आकर  आरती  में शामिल  होना  तो  दूर, भगवान  की  मूर्ति ...