Tuesday, June 11, 2019

जो प्राप्त है-प्रयाप्त है।

आज का प्रेरक प्रसंग

शेर और लोशेर और लोमड़ी

 शेर औरएक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां  चुन रहा था कि तभी उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा,'आख़िर इस हालत में ये जिंदा केसे है?'वह इन्हीं विचारों में खोया हुआ था किअचानक चारों तरफ अफरा- तफरी मचने लगी। जंगल का राजा शेर उस तरफ आ रहा था। भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊंचेपेड़ पर चढ़ गया,और वहीं  से सब कुछ देखने लगा। शेर नेएक हिरण का शिकार किया था और उसे अपने जबड़े में  दबा कर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था। पर उसने लोमड़ी पर हमला नही किया, बल्कि उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकडे  डाल दिए।'ये तो घोर आश्चर्य है,शेर लोमड़ी को मारने की बजाय उसे भोजन दे रहा है?भिक्षुक बुदबुदाया।उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था।इसलिए वह अगले दिन फिर वहीं आया और छिपकर शेर का इंतजार करने लगा।आज भी वैसा ही हुआ।शेर ने अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया।यह भगवान के होने का प्रमाण है।भिक्षुक ने अपने आप से कहा,'वह जिसे पैदा करता है,उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है।'आज से मैं भी इस लोमड़ी की तरह ऊपर वाले की दया पर जीऊँगा। ऐसा सोचते हुए वह वीरान जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया।पहला दिन बीता,पर कोई वहां नहीं आया।दूसरे दिन भी कुछ लोग उधर से गुजर गए,पर भिक्षुक की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया।इसी तरह कुछ और दिन बीत गए।भिक्षुक बेहद कमजोर हो गया।तभी एक महात्मा उधर से गुजरे।भिक्षुक ने अपनी सारी कहानी महात्मा को सुनाई और बोला,अब आप ही बताइये कि भगवान इतने निर्दयी कैसे हो सकते है?क्या किसी व्यक्ति को इस हालत में पहुंचाना पाप नहीं है?महात्मा हंसकर बोले,'लेकिन तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान तुम्हें उस शेर की तरह बनते देखना चाहते थे,लोमड़ी की तरह नहीं।'

 सदैव प्रसन्न रहिये।

असली पूजा

ये  लड़की  कितनी नास्तिक  है ...हर  रोज  मंदिर के  सामने  से  गुजरेगी  मगर अंदर  आकर  आरती  में शामिल  होना  तो  दूर, भगवान  की  मूर्ति ...