Sunday, June 23, 2019

ससुराल

ससुराल

घर में शादी का माहौल चल रहा था,, शायद पहली ऐसी शादी जिसमे लड़की  के भाई-भाभी कोई भी शामिल नहीं थे ,, माँ बाप का साया बचपन में ही उठ गया था ,, सुमन की शादी हो रही थी।  सास ससुर कन्या दान करने की तयारी में लगे थे,, अभी एक साल पहले सुमन के पति सार्थक का एक भयानक दुर्घटना में मौत हो गयी थी।  सुमन और सार्थक की शादी को अभी 3 साल पुरे होने वाले ही थे की ये हादसा घटित हो गया।  ससुराल इतना अच्छा मिला उसे मायके से भी अत्याधिक प्यार मिला। 

एक साल पहले सार्थक के मृत्यु पर सभी घरवाले शोकग्रस्त थे , बड़ा भाई सुमन को साथ ले गए , हालांकि वो त्यार भी नहीं थी।  चली गई शायद  मन हल्का हो जाये ,, सास ससुर ने भी कहा , "बेटा तुम हमारी बेटी हो बहु नहीं,, जब दिल करे आ जाना "

एक दिन उसके कानो में भाई के स्वर पड़े  " ‘तो क्या हो गया बेचारी विधवा है खुश हो जाएगी |’ दरअसल भाभी, भाई को उपहार देने के लिए उलहाना दे रही थी।

सार्थक उसे हमेशा अपनी पैतृक सम्पति के बारे में बताता रहता था और कहता था हमें किसी पर भी ज़रुरत से ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए वो चाहता था की सुमन को भी उसकी सम्पत्ति की जानकारी रहे | लेकिन ये बात जब भी वो शुरू करता सुमन कहती क्या जरूरत है मुझे ये सब जानने की आप तो हमेशा मेरे साथ रहेंगे इस पर सार्थक कहता समय का कोई भरोसा नहीं है चाहे पति हो या पत्नी उन्हें एक दूसरे के बारे में हर एक बात पता होनी चाहिए| जिससे की कभी एक को कुछ हो जाए तो दूसरे को दुःख के दिन न देखना पडे तुम तो पढ़ी लिखी हो सब समझ भी सकती हो |
लेकिन सुमन उसकी बातों पर ध्यान नहीं देती | मगर हुआ वही जिसका डर था सार्थक उसको अकेला छोड़ कर चले गए।

बड़ा भाई उसे ये कहकर अपने घर ले आया था की तू मेरी बहन नहीं बल्कि बेटी है लेकिन आज उसकी ये बेटी उसके लिए बेचारी विधवा बनकर रह गयी थी| उसका भाई ही उसकी सारी धन सम्पत्ति का लेखा जोखा रखता था और उससे अपने और अपने परिवार के शौक भी पूरे कर लेता था | जिस पर सुमन ने कभी आपत्ति नहीं जताई | लेकिन भाई की ऐसी बात सुनकर सुमन को बहुत ग्लानि हुई और उसके आत्म सम्मान को गहरा आघात लगा उसे अपना आने वाला भविष्य अनिश्चित और दुखद लगने लगा क्योंकि वो  एक विधवा थी ,,उसे अफ़सोस हो रहा था की ... उसे आंखें बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए था | उस रात वो सो नहीं पायी सार्थक के शब्द उसके कानों में गूंजते रहे | दूसरे दिन उसने अपनी सम्पत्ति की कमान खुद सम्भालने का निर्णय अपने भाई को सुना दिया और सामान समेटकर अपने घर चली आई |

आते ही सास से लिपट कर फफक फफक कर रो पड़ी और बोली "माँ में  हमेशा हमेशा के लिए छोड़ आयी " "कोई नहीं मेरी बच्ची यही तेरा घर है यही रह जैसी तुम्हारी मर्जी।  ससुर गंगा राम ने सास दुर्गा देवी से एक दिन कहा ,, हमारा क्या है आज है कल नहीं ,, बिटिया की अभी सारी उम्र पड़ी है।  उन्होंने सुमन को बड़ी मुश्किल से राजी किया ,, नारी जब किसी को मन मंदिर में बिठा लेती है तो दूसरे की जगह नहीं बन पाती।
बहुत समझाने पर सार्थक के ममेरे भाई नितिन के साथ उसका रिश्ता तय हो गया ,, आज विवाह होने जा रहा था।

सुमन ने बचपन में माता पिता को खो दिया , आज उसे सास ससुर ही माता पिता लग रहे थे ,, विदाई के समय सुमन बाबूजी से और माँ से लिपट लिपट कर रो रही थी ,, शायद ये समाज के लिए अनोखी मिसाल थी।

असली पूजा

ये  लड़की  कितनी नास्तिक  है ...हर  रोज  मंदिर के  सामने  से  गुजरेगी  मगर अंदर  आकर  आरती  में शामिल  होना  तो  दूर, भगवान  की  मूर्ति ...