टिफिन
"मिसेज दीपिका वर्मा, आप अपने बेटे को टिफ़िन देकर क्यों नहीं भेजतीं? वह रोज अपने पार्टनर से टिफ़िन मांगकर खाता है।"
प्रिंसिपल कहे जा रहे थे और मिसेज वर्मा का चेहरा गुस्से से लाल हुए जा रहा था। वह रोज सुबह नया से नया डिश बनाकर अमन के लिये टिफ़िन में रखती थी। वह तो बताता था कि उसके दोस्तों को भी उसका टिफ़िन बहुत पसंद हैं। पर यहां तो....
"सर, क्या मैं अमन से बात कर सकती हूँ? मुझे लगता है, कोई उसका टिफ़िन चुरा लेता होगा।" दीपिका बोली।
"मैंने भी यही सोचा था पर उसने कुछ ऐसा बताया कि.....।" कहते हुए प्रिंसिपल सर रुक गए। उन्होंने सिर नीचे कर लिया। फिर भी उनकी आंखों में भर आए आँसू दीपिका से छिप न सके।
"क्या, क्या बताया अमन ने?" कुछ गलत के अंदेशे से दीपिका कांप उठी।
"छोड़िये, आपके ससुर जी कैसे हैं। आपकी सास के गुजरने के बाद तो वह काफी अकेलापन फील करते होंगे।" प्रिंसिपल ने अचानक पूछा।
"वो ठीक हैं। उनकी बात छोड़िये, अमन के बारे में बताइये।" दीपिका अधीरता से बोली।
"सुबह अमन को तैयार करने के चक्कर में आप तो उनका ख्याल ही नही रख पाती होंगी।"
"नहीं ऐसा नहीं है। अमन को जब वह बस में चढ़ाकर लौटते हैं , तो उन्हें चाय देने से लेकर नाश्ता तक मैं ही कराती हूँ।"
"अमन बता रहा था कि एक बार उन्होंने चाय और नाश्ते के लिए कहा, तो आपने मना कर दिया कि अभी अमन का नाश्ता बनाने का काम है। बाद में बनाकर दे देंगी।" कहते हुए प्रिंसिपल का चेहरा गंभीर हो उठा।
"हां, पर.... इसका अमन से क्या संबंध?" दीपिका की उलझन बढ़ती जा रही थी।
"आपका बेटा अपने भूखे-प्यासे दादाजी को अपना टिफ़िन खिला देता है। दादाजी ने पहले दिन ही खाने से इनकार कर दिया था। तब पोते ने उनके लिये झूठ बोलना सीखा। अगले दिन उसने दादाजी से बहाना किया कि उसने आपसे दो टिफ़िन रखवाए हैं। एक रास्ते मे खाने के लिये और एक लंच टाइम के लिये। इस तरह वह अपना टिफ़िन दादा जी को खिला देता है।"
"क्या......?" दीपिका का मुंह खुला का खुला रह गया।
"ऐसा क्यों होता है मिसेज वर्मा कि बच्चे दूसरे के मन को हम बड़ों से पहले पढ़ लेते हैं?" कहते हुए प्रिंसिपल की आवाज में कुछ तल्खी आ गयी थी।
"वो...। आई एम सॉरी सर। आइंदा ऐसा नहीं होगा।" शर्म से गड़ते हुए दीपिका ने धीरे से कहा।
"और प्लीज। एक रिक्वेस्ट है आपसे। अमन को कुछ न कहियेगा। उसे नहीं पता चलना चाहिये कि मैंने सब बात आपको बता दी है। नहीं तो उसका भोलापन छिन जायगा।"
"डोंट वरी सर, मेरे बेटे ने जो पाठ मुझे पढ़ाया, वो मैं जिंदगी में नहीं भूलूंगी। अब उसे अपना टिफ़िन दादाजी को खिलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।" कहते हुए दीपिका उठी और धीरे धीरे कमरे से बाहर निकल गयी।
Sunday, June 23, 2019
असली पूजा
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