Wednesday, September 11, 2019

नई सोच नई दिशा


कभी किसी काल में किसी नगर में राम और श्याम नामक दो धनी व्यापारी रहते थे. वे दोनों ही अपने धन और वैभव का बड़ा प्रदर्शन करते थे.
एक दिन राम  अपने मित्र श्याम  के घर उससे भेंट करने के लिए गया. राम  ने देखा कि श्याम  का घर बहुत विशाल और तीन मंजिला था. 2 साल पहले तीन मंजिला घर होना बड़ी बात थी और उसे बनाने के लिए बहुत धन और कुशल वास्तुकार की आवश्यकता होती थी. राम  ने यह भी देखा कि नगर में सभी निवासी श्याम  के घर को बड़े विस्मय से देखते थे और उसकी बहुत बड़ाई करते थे.
अपने घर वापसी पर राम  बहुत उदास था कि श्याम  के घर ने सभी का ध्यान खींच लिया था. उसने उसी वास्तुकार को बुलवाया जिसने श्याम का घर बनाया था. उसने वास्तुकार से श्याम के घर जैसा ही तीन मंजिला घर बनाने को कहा. वास्तुकार ने इस काम के लिए हामी भर दी और काम शुरू हो गया.
कुछ दिनों बाद राम काम का मुआयना करने के लिए निर्माणस्थल पर गया. जब उसने नींव खोदे जाने के लिए मजदूरों को गहरा गड्ढा खोदते देखा तो वास्तुकार को बुलाया और पूछा कि इतना गहरा गड्ढा क्यों खोदा जा रहा है.
“मैं आपके बताये अनुसार तीन मंजिला घर बनाने के लिए काम कर रहा हूँ”, वास्तुकार ने कहा, “सबसे पहले मैं मजबूत नींव बनाऊँगा, फिर क्रमशः पहली मंजिल, दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल बनाऊंगा.”
“मुझे इस सबसे कोई मतलब नहीं है!”, राम ने कहा, “तुम सीधे ही तीसरी मंजिल बनाओ और उतनी ही ऊंची बनाओ जितनी ऊंची तुमने श्याम के लिए बनाई थी. नींव की और बाकी मंजिलों की परवाह मत करो!”
“ऐसा तो नहीं हो सकता”, वास्तुकार ने कहा.
“ठीक है, यदि तुम यह नहीं करोगे तो मैं किसी और से करवा लूँगा”, राम ने नाराज़ होकर कहा.
उस नगर में कोई भी वास्तुकार नींव के बिना वह घर नहीं बना सकता था, फलतः वह घर कभी न बन पाया. अतः किसी भी बड़े कार्य को सम्पन्न करने के लिए उसकी नीव सबसे मजबूत बनानी चाहिए एवं काम को योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए ।


"किसी भी बड़े कार्य को सम्पन्न करने के लिए उसकी नीव सबसे मजबूत बनानी"

असली पूजा

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